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परिवर्तन

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परिवर्तन छोटा था पर नेक था वो थोड़ा नटखट पर परवाना था । छोटी उम्र में अपने परिवार के लिए कुछ करना था।वो कोलकाता के व्यस्त लोगो के बीच एक दिन वो अचानक कहता हे बँगला भाषा में अंकिल हमे ठंड लग रहा हे। सामने वाला छनभर के लिए सुन्न हो जाता है। एकटक उसे निहारते रह जाता है कोई परिवर्तन नहीं था लगा की कोई अपना है| वो उसके रूप को देख कर थोड़ा उसके दिल में प्यार उमर पड़ा जिसके कारण वो मुसकुरते हुए। तुम कुछ खायेगा।वो बोलता हां| मेरी माँ बोली जा भाग कोई काम कर और में निकल गया।कोई काज हे तो में करूँगा । इतना सुनते ही आशंकाओ का बदल घिरने लगा कही कुछ उच्च नीच ना होजाय।अपने साथ उसे ले जाकर खाना खाने के वाद उसे गर्म कपड़ा टोपी चपल का प्रवन्ध किया लगातार उसे संसार चलाने का सारा का सारा शव्द उसे एक साथ बता दिए   उसके प्रश्न के जवाब के लिए की आमी काज करवो के पूर्ति के लिए एक दुकान बाले को बोले की इसका ख्याल रखना। सच्चा था वो रिस्ता ढूढ लिया मामा कहता था । माहोल के अनुसार सम्बोधन करने लगा टेढ़ा मामा , दादु और चिना।अदभुत परिवर्तन ला दिया परिवेश में वो |मामा के लिये हर कार्य के लिए आतुर देखा।किसी भी...