भागमभाग ने हमें बेरोजगारी अहंकारी इर्ष्या ये सब छोड़ भागता रहा

जब छोटा था तो माँ कहती थी भाग घर से बाहर निकल कर दीदी के साथ खेल

मास्टर साहब कक्षा से ये कह भगा दिए कुछ काम नहीं केरेगा तू भाग यंहा से

दोस्त ये यह बोला  भगा यहाँ से तू धीरे खेलता है भाग पीछे रह कर खेल

जवान हुआ और नई दुनिया से जा मिला यहाँ भी रोजगार बोला जा भाग यंहा से

भागते भागते कुछ अपने मिले वो जिसने स्थिर रहना सिखाया निजी स्वार्थ में

इस लिए उसे छोड़ भागता गया इस भागमभाग में बहुत कुछ पाया खोने के किये कुछ था ही नहीं 

मेरे पास सिर्फ भागते गया बस भागमभाग में ही लगा रहा

गाँव मै भी ऊर्जावान युवा सोच ,गाँव का संस्कार इस भागमभाग उन्नति के सफलता हाशिल किये

इस भागमभाग ने हमनें अपनों से ही दूर हो गया अपने सकून  भाड़ा प्यार से भाग गया

इतना ही नहीं ये भागमभाग ने हमें बेरोजगारी अहंकारी इर्ष्या ये सब छोड़ भागता रहा I

इस भागमभाग ने हमे आज अपनों के बिच खोने नहीं दिया

इस भागमभाग में परिवार के साथ कुछ खास खुश है इस लिये हमे भागना हमारी आदत हो गई है

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राष्ट्रीय सेवा योजना , स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

परिवर्तन

हिन्दी कार्यशाला का आयोजन