दृश्य श्रीमान ओम शंकर दुवे जी विवाह का

 

हमारी परम्परा में विवाह एक महत्त्वपूर्ण संस्कार हैलड़का हो अथवा लड़की, दोनों की ही शादी यथा सम्भव धूमधाम से सम्पन्न होती हैप्रत्येक माता-पिता यथा शक्ति और कभी-कभी सीमा से बाहर जाकर भी खर्च करते हैं

नव्यता और भव्यता आज के समाज का अभिन्न अंग हैं इसलिए विवाह शादियों में शान-शौकत का प्रदर्शन और तड़क-भड़क खूब रहती हैं पिछले सप्ताह मुझे एक परिचित की शादी में जाने  का अवसर मिला वर्धमान पश्चिम बंगाल  कोलकता के भी  मित्र साथ थे विवाह स्थल वर्धमान मेरेज हाल था कोलकाता दिल्ली उच्य राज्य मार्ग के  निकट व्यवस्थित आकर्षित पार्क था

पूरे पार्क में लम्बा-चौड़ा पण्डाल सजा था विवाह स्थल के मुख्य द्वार को किले का रूप दिया गया था द्वार के बाहर वारिश की भीनी-भीनी बूंदें भी बरस रही थीं पंडाल में कालीन बिछे हुए थे गोल टेवल के साथ  कुर्सियां बिछी हुई थी चारों ओर फूल महक रहे थे एक ओर खाने की व्यवस्था की गई थी मेजों पर तरह-तरह के व्यंजन सजे हुए थे । कहीं चाट वाले, कहीं गोल गप्पे वाले, कहीं मिष्ठान वाले अपना-अपना सामान सजाए बैठे थे एक ओर शीतल पेय, दूसरी ओर आइसक्रीम वाले और उनके साथ ही गुलाब जामुन और जलेबी वाले हलवाई बैठे हुए थे

सबसे मजेदार थी कुल्हड़ की“चरित्रवान चाय ” स्टाल जिसके लिए बस यही कहूँगा की जिसका एक कप चाय दो दिलो को मिला देती है,एक कप चाय दिन भर की थकान मिटा देती है। 
    जो चाय चीनी-मिट्टी के कप में आती है वो चरित्रहीन है, हर बार धुल-पूछ कर नए रूप में, नए साज-सिंगार में आकर नए प्रेमी के अधर-पल्लव को चूमती है ! पर जो चाय कुल्हड़ में पी जाती है  “चरित्रवान चाय ” वह तो पंचतत्वों से एक बार स्वयं को तपाकर तैयार करती है और किसी अधर से एक बार जब छू जाए तो उसके बाद अपना नश्वर शरीर त्याग देती है और पुनः अग्नि में तपकर नया जन्म लेती है नए प्रेमी के अधर छूने के लिए “

कन्या पक्ष की ओर से वर पक्ष के स्वागत की तैयारियां जोरों पर थी डिजिटल शहनाई वादक मधुर-मधुर ध्वनि करते हुए, शहनाई वादन कर रहे थे खूब चहल-पहल थी महिलाएं और बच्चे रंग-बिरंगे परिधानों में बड़े आकर्षक लग रहे थे नवयुवतियां थाल सजाएं वर की प्रतिक्षा कर रही थीं लगभग साढ़े आठ बजे बारात पहुँची कन्या पक्ष की ओर से हार्दिक स्वागत किया गया

मुख्य द्वार पर ही चौकी पर खड़े करके तिलक किया गया, आरती उतारी गई, फिर उन्हें कन्या और वर के लिए बने मंच पर बैठाया गया इस बीच बाराती और अन्य अतिथि खाने-पीने में लग गए लोग एक-दूसरे से प्रेम-पूर्वक मिल रहे थे

इसी बीच में कन्या को लाया गया और वर के समीप आसन पर स्थान दिया गया, दोनों ही बड़े सुन्दर लग रहे थे जयमाला कार्यक्रम सम्पन्न हुआ उनके अनेक चित्र लिए गए वातावरण उल्लासमय और आनन्दमय था  

कुछ खाने में व्यस्त थे, कुछ गप्पें लड़ा रहे थे और कुछ नवयुवक तस्कवीर निकल रहे थे । दोनों पक्षों में आमन्त्रित व्यक्ति अपने पक्षों को भेंट समर्पित कर रहे थेसाढ़े दस बजे के बाद लोग लौटने लगे थे क्योंकि हम लोग कन्या पक्ष से अत: हमने बाद में ही भोजन किया और अपने मित्र वर-कन्या को उपहार देकर शुभकामनाएं दी ।  

विवाह का दृश्य सचमुच ही बड़ा सुन्दर था  हर प्रकार की व्यवस्था थी विवाह में दोनों ही पक्षों की ओर से उतर प्रदेश /पछिम बंगाल  के गणमान्य व्यक्ति, तीन-चार पुलिस अधिकारी और एक-दो प्राचार्य  भी थे  साथ ही राजनेतिक घराने के लोग भी उपस्थित थे  वे लोग अपनी कड़ी सुरक्षा के बीच आए वर-कन्या को आशीर्वाद दिया और अल्पाहार करके चले गए

माधवेंद्र कुमार राय , सचिव नव वन्धन  हेमंत नवनीत राम , अन्य गण्यमान्य अतिथि नव दम्पति को मंगलकामना के साथ विदा ले रहे थे !

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